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Saturday, July 19, 2025
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‘भारतीय कफ सीरप पीने से गई 18 बच्चों की जान,’ अब उज्बेकिस्तान का दावा, WHO ने कहा- जांच में करेंगे सहयोग

Uzbekistan Children Death: उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारतीय कंपनी की ओर से तैयार किए जाने वाले कफ सिरप डॉक-1 मैक्स को पीने से समरकंद में कम से कम 18 बच्चों की जानें गई हैं.

Uzbekistan Claims 18 Children Lost lives After Consuming India-Made Cough Syrup 'भारतीय कफ सीरप पीने से गई 18 बच्चों की जान,' अब उज्बेकिस्तान का दावा, WHO ने कहा- जांच में करेंगे सहयोग

उज्बेकिस्तान में खांसी के सिरप से बच्चों की मौत हो गई (Getty Image)

Uzbekistan News: मध्‍य एशियाई देश उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में एक कफ सिरप से 18 बच्चों की जान चली गई. वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि जिस कफ सिरप को बच्‍चों ने पिया था, वो भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी का कफ सिरप (Dok-1 Max syrup) था. उज्बेकिस्तान में बच्‍चों की मौत का यह मामला उस घटना के बाद आया है, जब अफ्रीकी देश गांबिया (Gambia) में भी ऐसी ही दवा पीने से 66 बच्चों बच्चों की मौत की खबर आई थी.

उज्बेकिस्तान के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय (Health Ministry of Uzbekistan) की ओर से कहा गया है कि जांच में यह पता चला है कि जिस सिरप को पीने के बाद 18 बच्‍चों की मौत हुई, वो सिरप भारतीय दवा फर्म मैरियन बायोटेक लिमिटेड की ओर से निर्मित डाक1-मैक्स (Doc-1 Max) कफ सिरप था. मंत्रालय के बयान के अनुसार, लैब में किए गए एक टेस्‍ट में भारतीय कफ सिरप में दूषित एथिलीन ग्लाइकोल की उपस्थिति पाई गई. डाक1-मैक्स कफ सिरप को नोएडा की मैरियन बायोटेक की ओर से तैयार किया जाता है.

उज्बेकिस्तान में कफ सिरप पीने से गई बच्‍चों की जान

उज्बेकिस्तान में हुई मौतों को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि डाक1-मैक्स कफ सिरप का सेवन बिना डॉक्टर के पर्चे के और प्रभावित बच्चों द्वारा अधिक मात्रा में किया गया था. उज्बेकिस्तान के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि समदरकंद में ऐसे 21 बच्‍चे जो तीव्र श्वसन रोग से पीड़ित थे, उन्‍होंने नोएडा की मैरियन बायोटेक की निर्मित डॉक-1 मैक्स सिरप का सेवन किया था, संभवत: उसी वजह से उनमें से 18 बच्चों की मौत हो गई है.

नोएडा की कंपनी बनाती है डॉक-1 मैक्स सिरप 

बता दें कि, मैरियन बायोटेक की डॉक-1 मैक्स सिरप को कंपनी की वेबसाइट पर सर्दी और फ्लू के लक्षणों के उपचार के रूप में बेचा जाता है. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘जांच में पाया गया कि मृत बच्चों ने अस्पताल में भर्ती होने से पहले इस दवा का 2-7 दिनों तक दिन में 3-4 बार बार सेवन किया. इसकी मात्रा 2.5-5 ML के बीच रही, जो बच्चों के लिए दवा की मानक खुराक से ज्यादा है.’ हालांकि बयान में सीधे तौर पर दवा में किसी तरह की गड़बड़ी का आरोप नहीं लगाया गया.

‘बिना डॉक्‍टर की सलाह के सिरप को लिया गया’

मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया, ‘चूंकि दवा में मुख्य रूप से पेरासिटामोल है, जिसे माता-पिता ने गलत तरीके से इस्तेमाल किया. या तो उन्होंने सीधे मेडिकल से इसे खरीद लिया या फिर ठंड विरोधी उपाय के रूप में इसे इस्तेमाल किया.’ बयान के अनुसार, लैब के शुरूआती अध्ययनों से इस सिरप में एथिलीन ग्लाइकॉल की उपस्थिति मिली है. इस तरह की दवा का सेवन कुछ ज्‍यादा होने पर उल्टी, बेहोशी, आक्षेप, हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.’

डब्ल्यूएचओ ने दिया जांच में सहयोग का भरेासा

भारतीय अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, “उज्बेकिस्तान में बच्‍चों की मौत की खबरें आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) उज्बेकिस्तान में स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है और आगे की जांच में सहायता के लिए तैयार है.” हालांकि, डॉक्टर-1 मैक्स की मैन्युफैक्चरिंग कंपनी मैरियन बायोटेक और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले पर अभी कुछ नहीं कहा है. इस साल की शुरुआत में गाम्बिया में भी 70 बच्चों की मौत की खबरें आई थीं.

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