
तेजी से बढ़ी अर्बनाइजेशन का सबसे बड़ा नुकसान हुआ पर्यावरण को। अब लगभग हर शहर में पर्यावरण को बचाने के लिए अलग-अलग स्तर पर कोशिशें की जा रही हैं और खासतौर से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्रमोट किया जा रहा है। लेकिन इलेक्ट्रिक बसों या ई-व्हीकल्स का फायदा क्या है? इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि चंडीगढ़ में दिसंबर 2021 से चलाई गई 40 ई-बसों से अब तक डीजल बसों के मुकाबले 19.06 लाख किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ है और 6.08 करोड़ रुपए का डीजल बचा है।
यानि एयर पाॅल्यूशन रोकने में यह बसें कारगर हैं। इन 40 ई-बसों की चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) ने मार्च 2023 तक की रिपोर्ट तैयार की है। पहली 40 इलेक्ट्रिक बसों में से 11 बसें नवंबर 2021 में शुरू हुईं। दिसंबर-जनवरी में कुछ बसें शुरू की गईं। 40 और बसें नवंबर 2022 में चलीं। अभी 80 और बसें खरीदी जानी हैं। वर्ष 2027-28 तक लोकल और ट्राईसिटी के रूट पर सीटीयू की सभी पुरानी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक में शिफ्ट करने का टारगेट रखा गया है।
40 ई-बसों की रिपोर्ट
- 36,10,120 किलोमीटर दूरी तय की
- 7,22,024 लीटर डीजल की बचत
- 19,06,143 किलोग्राम कार्बन एमिशन कम हुआ
प्रत्येक बस के हिसाब से
- 90,253 किलोमीटर चली
- 18,050 लीटर डीजल बचा
- 47,653 किलोग्राम कार्बन एमिशन कम हुआ
एयर पाॅल्यूशन खतरा इसलिए ईवी पाॅलिसी भी नोटिफाई…
चंडीगढ़ में भी कई बार एयर पाॅल्यूशन तय सीमा से ज्यादा रहता है, इसलिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में ये शहर भी शामिल है। सितंबर 2022 में ही ईवी पाॅलिसी नोटिफाई की जा चुकी है, जिसके तहत प्राइवेट व्हीकल्स के कुछ हिस्से को ईवी में शिफ्ट करने का प्रावधान है।
अगले पांच साल के लिए कैटेगरीवाइज ईवी रजिस्ट्रेशन के टारगेट तय किए गए हैं। सबसे पहले पेट्रोल टू-व्हीलर्स की रजिस्ट्रेशन वित्त वर्ष 2024-25 से पूरी तरह बंद करने का प्रावधान है। वहीं अब तक चंडीगढ़ में हवा को साफ करने के लिए मशीनोें और गाड़ियों की खरीद और अन्य संबंधित काम पर करीब 16 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।