
पंजाब के लुधियाना में 2022-23 वर्ष में 560 छात्रों ने सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया। इनमें से अधिकतर प्रवासी परिवारों के बच्चे हैं। उधर, राज्य शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन पर जोर दे रहा है। जो छात्र कक्षाओं में नहीं जाते या किन्हीं कारणों से परीक्षा में नहीं बैठते, उन्हें ड्रॉपआउट माना जाता है। एक स्कूल से दूसरे स्कूल में जाने वाले छात्रों को ड्रॉपआउट नहीं माना जाता है।
लगभग 90 प्रतिशत छात्र जो पिछले शैक्षणिक वर्ष 2022-2023 में बाहर हो गए थे, वे ज्यादातर प्रवासी परिवारों से संबंधित थे। इन बच्चों के माता-पिता मजदूरी करते हैं। जिन स्कूलों से छात्र गए हैं उनमें जगराओं, मुल्लांपुर, दोराहा, डेहलों आदि शामिल है।
विभाग ने स्कूलों से मांगी थी जानकारी
शिक्षा विभाग ने फरवरी महीने में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों के संबंध में स्कूलों से जानकारी मांगी थी। इसमें माता-पिता का व्यवसाय, पता, उम्र, कक्षा और क्या छात्र को दूसरे स्कूल में प्रवेश मिला है या नहीं ? यह भी स्कूलों से डाटा लिया गया था।
कोट मंगल स्कूल के शिक्षक ने कहा कि एक छात्र को ड्रॉपआउट माने जाने के लिए बिना किसी कारण या छुट्टी के 10 दिन की अनुपस्थिति के लिए न्यूनतम मानदंड निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर छात्र प्रवासी परिवारों से हैं, जब परिवार अपने गृह राज्य वापस जाते हैं या काम की तालाश में अपना स्थान बदलते हैं तो उनके बच्चे कक्षाओं में जाना बंद कर देते हैं।
छात्रों का डाटा ऑनलाइन
उन्होंने कहा कि छात्रों के बारे में पूरा डाटा ऑनलाइन होने के कारण स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या का पता लगाना बहुत आसान हो गया है। स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र मौजूदा स्कूल से लेने के बाद ही छात्र को दूसरे स्कूल में प्रवेश मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि छात्रों को कक्षाओं में वापस आने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। शिक्षा विभाग द्वारा एकत्र किए गए डाटा में यह भी बताया गया कि क्या छात्र को उनकी शिक्षा को फिर से शुरू करने के लिए स्कूलों द्वारा संपर्क किया गया है। शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार ड्रॉपआउट छात्र को उसी कक्षा में दोबारा प्रवेश लेने का विकल्प है और दो साल का अंतराल स्वीकार्य है।