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Wednesday, July 30, 2025
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Delhi News: वित्त मंत्रालय-RBI और IRDA के नाम पर करते थे लाखों की ठगी, IFSO की टीम ने 4 आरोपी किए गिरफ्तार

Delhi: डीसीपी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी खुद को आरबीआई, बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय का अधिकारी बताते थे. टीम ने इनके पास से 3000 लोगों का डेटा जब्त किया.

Delhi News Fraud of lakhs in name of Finance Ministry special cell arrested four accused ANN Delhi News: वित्त मंत्रालय-RBI और IRDA के नाम पर करते थे लाखों की ठगी, IFSO की टीम ने 4 आरोपी किए गिरफ्तार

(स्पेशल सेल ने ठगी के आरोपी किए गिरफ्तार, फोटो- अभिषेक नयन)

Delhi News: दिल्ली स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन (IFSO) की टीम ने ठगों के एक ऐसे गैंग का खुलासा करने में कामयाबी पाई है, जो  मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस, आरबीआई और आईआरडीए जैसी वित्तीय संस्था के अधिकारी होने का झांसा देकर लोगों से लाखों की ठगी की वारदातों को अंजाम देते थे. इस मामले में स्पेशल सेल पुलिस ने गैंग के किंगपिन सहित कुल चार चीटरों को गिरफ्तार किया है. इनकी पहचान मेहताब आलम, सरताज खान, मोहम्मद जुनैद और दीन मोहम्मद के रूप में हुई है. ये दिल्ली के मुस्तफाबाद और जीरो पुस्ता इलाके के रहने वाले हैं. इनके पास से सात मोबाइल फोन और तान हजार संभावित पीड़ितों के नामों की लिस्ट के साथ एक लैपटॉप बरामद किया गया है.

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को मिली थी शिकायत

डीसीपी प्रशांत गौतम के अनुसार, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के ऑफिस में वित्तीय धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और वित्त मंत्रालय के नाम पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करने के संबंध में वित्त मंत्रालय से एक रेफरेंस प्राप्त हुआ था. अपराध की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट को रेफरेंस दिया गया, जिसके साथ वित्त मंत्री के हस्ताक्षर वाला वित्त मंत्रालय के नाम से जारी एक फर्जी पत्र भी संलग्न था. इस तरह की कुछ और शिकायतें भी दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के ऑफिस में प्राप्त हुई थी.

लैप्स पॉलिसी के अगेंस्ट सैंक्शन एमाउंट का झांसा देकर करते थे ठगी

इस मामले में दी गई शिकायत में पीड़ित ने बताया कि चमन लाल नामक एक व्यक्ति ने उसे टेलीफोन पर संपर्क किया था. उसने बताया गया था कि उनकी लैप्स बीमा पॉलिसी के अगेंस्ट कुछ एमाउंट सैंक्शन की गई है. इसके बाद उनसे ईमेल आईडी मांगी गई और फिर उनको एक फर्जी ईमेल आईडी यानी dicgc@rbidepartment.org.in के माध्यम से एक पत्र भेजा गया. इसमें उन्हें बताया गया कि 12,46,518 रुपये उनकी लैप्स हो चुकी बीमा पॉलिसियों के एवज में सैंक्शन हुए हैं. इसके लिए प्रोसेसिंग फीस के नाम पर उन्हें 44 हजार रुपये भुगतान करने को कहा गया. जब उन्होंने उक्त रकम का भुगतान किया तो उनसे फिर से एनओसी के लिए 27 हजार रुपये देने के लिए कहा गया. जब पीड़ित ने मांगी गई रकम का भी भुगतान कर दिया, तो 12,46,518 रुपये का जाली चेक जालसाजों द्वारा पोस्ट के माध्यम से उनको भेजा गया.

इस तरह हुई आरोपियों की पहचान

जब उनको चेक मिला तो उन्हें फिर से फंड रिलीज के नाम पर 52 हजार रुपये का अंतिम भुगतान करने के लिए कहा गया और ये भी बताया गया कि उक्त रकम का भुगतान किए बिना वह चेक की रकम प्राप्त नहीं कर पाएंगे. इस तरह कुल मिलाकर पीड़ित से 127000 हजार रुपये की ठगी की गई. अपराध की गंभीरता और वित्त मंत्रालय और अन्य वित्तीय संस्थानों की पहचान के दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए स्पेशल सेल के एसीपी मनीष जोरवाल की देखरेख में एसआई सुनील यादव, सुशील कुमार, एएसआई टेकचंद और अन्य की टीम का गठन कर मामले की जांच कर आरोपियों की पकड़ के लिए लगाया गया था. पुलिस टीम तकनीकी पहलुओं और साइबर ट्रेसिंग के आधार पर ठगी की वारदात में शामिल आरोपियों की पहचान और उसके स्थान का पता लगाने में कामयाब हुई.

छापेमारी कर मास्टरमाइंड को दबोचा  

सभी आरोपी लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे. इसलिए टीम ने आरोपियों के ठिकानों और उसके आसपास छापेमारी की. आखिरकार लगातार प्रयासों के बाद पुलिस ने मुस्तफाबाद से सिंडिकेट के मास्टरमाइंड मेहताब आलम को दबोच लिया. इसके बाद पुलिस ने उसके तीन सहयोगियों सरताज खानज़ मोहम्मद जुनैद और दीन मोहम्मद का भी पता लगा कर उनको गिरफ्तार कर लिया. उनसे पूछताछ में पुलिस को पता चला कि सभी आरोपियों के पास बीमा कंपनियों में काम करने का अनुभव है. ये सभी वहां कॉलिंग एजेंट के तौर पर काम करते थे और ग्राहकों से संपर्क करते थे. मेहताब आलम सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है और उसे एक ऐसी कंपनी में काम करने का भी अनुभव है जो वेबसाइटों और ईमेल रजिस्ट्रेशन का काम करती है. उसने आसानी से पैसा कमाने के लिए अपने सहयोगियों को एक साथ काम करने के लिए राजी किया. इन्होंने धोखाधड़ी से बीमा पॉलिसी धारकों का डेटा प्राप्त किया और आरबीआई और आईआरडीए के नाम से बनाई गई फर्जी ईमेल आईडी से उनसे संपर्क करना शुरू कर दिया.

जाली दस्तावेजों का भी करते थे उपयोग

पॉलिसी धारकों को भरोसा पाने के लिए वे उन ईमेल आईडी का उपयोग करके ईमेल भेजते थे, जो सरकारी वित्तीय संस्थानों के समान होती थी. इसके अलावा वो उन्हें झांसे में लेने के लिए आरबीआई, वित्त मंत्रालय और आईआरडीए के जाली दस्तावेजों का भी इस्तेमाल करते थे जो वित्तीय संस्थान से जारी प्रतीत होते थे. वे पीड़ितों को प्रलोभन देने के लिए पोस्ट द्वारा जाली चेक भी भेजते थे. इसके बाद वे तरह-तरह के चार्जेज जैसे प्रोसेसिंग चार्जेज, एनओसी चार्जेज और फंड रिलीजिंग चार्जेज मांगते थे. चेक मिलने पर भोले-भाले पीड़ित आरोपी व्यक्तियों द्वारा प्रदान किए गए खातों में राशि स्थानांतरित कर देते थे और फिर आरोपी दिल्ली के विभिन्न स्थानों से ठगी गई रकम को निकाल ले लेते थे. इस मामले में पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है और इन वारदातों में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश में लग गई है

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