कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर ने बीआरओ को पत्र लिखकर फिर से आधारशिला को स्थापित करने की मांग की है जिसे टनल का कार्य शुरू होने के समय हटा दिया गया था. स्थानीय प्रशासन ने आधारशिला के लिए जगह भी खोज ली है.
अटल टनल (Photo Courtesy : PTI)
Foundation Stone Of Atal Tunnel अटल टनल पर यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के नाम वाली आधारशिला मामले पर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने रक्षा मंत्रालय से मांग की है कि अटल टनल पर सोनिया गांधी के नाम वाली आधारशिला को फिर से स्थापित किया जाए जो उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की चेयरपर्सन थीं. सोनिया गांधी ने जून, 2010 में टूरिस्ट स्पॉट मनाली से 15 किलोमीटर धुंधी में अटल टनल की आधारशिला रखी थी.
बता दें कि अटल टनल पर सोनिया गांधी के नाम वाली आधारशिला का मामला सबसे पहले लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने उठाया था. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई थी. हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री कार्यलय संभालते ही रवि ठाकुर ने इस मामले को उठाया था. इसके बाद सीएम कार्यालय से कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर को आधारशिला मामले पर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) से बातचीत करने को कहा गया. जो 9.2 किमी लंबी टनल बनाने से लेकर इसकी देखरेख का काम संभाल रही है.
कांग्रेस ने इससे पहले जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के समय भी ये मामला उठाया था. उस समय के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने अक्टूबर, 2020 में जयराम ठाकुर को पत्र लिखकर इस आधारशिला के बारे में बताया था. पत्र में लिखा गया था कि सोनिया गांधी ने 2010 में तत्कालीन सीएम प्रेम कुमार धूमल, केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह और रक्षा मंत्री एके एंटनी की मौजूदगी में इसकी आधारशिला रखी थी.
अटल ने किया था योजना का ऐलान
कांग्रेस की लाहौल-स्पीति और मनाली की स्थानीय इकाईयों ने आधारशिला मामले पर दो अलग-अलग एफआईआर भी कराई हैं. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी के उद्घाटन करने से करीब एक दशक पहले ही सोनिया गांधी द्वारा रखी गई आधारशिला को हटा दिया गया था जिसमें पुलिस ने अपनी सफाई भी पेश की है.
वहीं, बीआरओ ने भी साफ किया है कि आधारशिला के पत्थर को नुकसान से बचाने के लिए उसे सुरक्षित स्थान पर रखा गया था. बता दें कि जून, 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी लाहौल स्पीति के किलॉन्ग में एक जनसभा के दौरान इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया था. वाजपेयी ने 2002 में इसकी आधारशिला रखी थी. यही वजह है कि भाजपा ने इस टनल योजना का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा था.