
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 साल की उम्र में 25 अप्रैल को निधन हो गया था। 75 साल के राजनीतिक सफर में 5 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल की आज अंतिम अरदास है। गांव बादल के माता जसवंत कौर मेमोरियल स्कूल में पंडाल लगाया गया है।
जहां देश के जानी मानी हस्तियों के अलावा भारत के गृह-मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यातायात मंत्री नितिन गडकरी पहुंच रहे हैं।

गांव बादल में पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंच सकते हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जिला प्रशासन ने पार्किंग के लिए ही 60 एकड़ जगह को चयनित किया है। वहीं, बुधवार को प्रकाश सिंह बादल को अंतिम विदाई दी गई। उनकी अस्थियों को कीरतपुर साहिब में विसर्जित कर दिया गया। बेटे व अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने पिता प्रकाश सिंह बादल की याद में कीरतपुर में एक पौधा भी रोपित किया।
कर्नाटक चुनावों से निकाला समय
इस समय भाजपा की सीनियर लीडरशिप कर्नाटक चुनाव में व्यस्त है। इसके बावजूद गृह मंत्री अमित शाह खासतौर पर गांव बादल पहुंच रहे हैं, ताकि प्रकाश सिंह बादल को अंतिम अरदास में श्रद्धांजलि दे सकें। बताया जा रहा कि अमित शाह ने अपने व्यस्त शेड्यूल में खुद जाने की इच्छा जाहिर की।
दरअसल, वह पूर्व सीएम बादल के संस्कार व उससे पहले अंतिम दर्शनों में भी पहुंच नहीं पाए थे। गृह मंत्री के आने की घोषणा के साथ ही प्रदेश भाजपा के नेता भी गांव बादल पहुंच रहे हैं।

60 एकड़ जमीन पर पार्किंग की व्यवस्था
रूट प्लान के अनुसार, गांव बादल आने वाले लोगों की पार्किंग के लिए 60 एकड़ जमीन की निशानदेही की गई है। गांव बादल को जाती सड़क के दोनों किनारों पर बने खेतों को पार्किंग के लिए चुना गया है। बादल गांव आने वाले लोग यहां अपने वाहन पार्क कर सकेंगे।
अंतिम अरदास कार्यक्रम के दौरान बादल-गगड़ सड़क पूरी तरह से बंद रखी जाएगी। यहां बिल्कुल भी आवाजाही नहीं होगी। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद इसे खोला जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि ट्रैफिक जाम से कोई परेशानी न हो।
सबसे कम उम्र के सरपंच व मुख्यमंत्री और सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार
प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।
इसके अलावा वे 1970-71 में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए। 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने।

