
पंजाब में करोड़ों रुपए के इंडस्ट्रियल प्लाट को मन-मर्जी के दामों पर अलॉट करने के पूर्व कांग्रेसी मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा से जुड़े मामले की आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। आरोपी अरोड़ा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केस कैंसिल करने की मांग की है।
इससे पहले मामले में पंजाब विजिलेंस ने केस दर्ज कर आरोपी शाम सुंदर अरोड़ा समेत करीब 10 सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों को दर्ज केस में नामजद किया है। विजिलेंस की जांच टीम आरोपी अरोड़ा को मोहाली के फेज-9 स्थित इंडस्ट्रियल कैंपस ले जाकर भी पूछताछ कर चुकी है। हालांकि पूर्व में आरोपी अरोड़ा उन्हें मामले में जान बूझकर फंसाने की बात कह चुके हैं।
रियल एस्टेट कंपनी को ट्रांसफर किए प्लाट
दरअसल, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने धोखाधड़ी कर इंडस्ट्रियल लैंड रियल एस्टेट कंपनी गुलमोहर सिटी को ट्रांसफर करने के आरोप में आपराधिक केस दर्ज किया है। आरोप हैं कि मिलीभगत से इंडस्ट्री के लिए आवंटित प्लाट को नियमों के खिलाफ जाकर रियल एस्टेट कंपनी को ट्रांसफर किया गया। लेकिन केस फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की जांच रिपोर्ट के बाद दर्ज किया गया।
फाइल में नोटिंग के 2 पेज अलग
विजिलेंस जांच में सामने आया कि प्लाट ट्रांसफर की फाइल पर नोटिंग के 2 पेज फाइल में संलग्न अन्य पेजों से मेल नहीं खाते। इससे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि हुई। साथ ही प्लाट के आवेदन व अन्य कागजों की गहन जांच न किया जाना भी सामने आया।
सरकार को 1.23 करोड़ का नुकसान
1987 की डीड के अनुसार, इस प्लाट का उपयोग केवल औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाना था और गुलमोहर टाउनशिप की ऐसी कोई पृष्ठभूमि नहीं है। 1,21,000 वर्ग गज के लिए 51,25,000 फीस बनती थी। रियल एस्टेट कंपनी ने पहले ही आवेदन के साथ पे ऑर्डर अटैच कर रखा था, जबकि पीएसआईडीसी से किसी ने इसकी मांग नहीं की थी। इससे पंजाब सरकार को 1,23,42,000 रुपए का वित्तीय नुकसान हुआ।

