
सिटी में चौराहों के नाम पढ़े नहीं जा रहे क्योंकि उनके ऊपर बड़े-बड़े होर्डिंग और फ्लैक्स बोर्ड लगे हैं। कोई अवैध बोर्ड लगाता है तो 1000 रुपए पैनल्टी का नियम है, लेकिन निगम न पैनल्टी लेता है और न ही बोर्ड उतार रहा है। वर्तमान में उप चुनाव में आचार संहिता लगी है, जिस कारण राजनीतिक दलों के करीब 10 हजार फ्लैक्स उतारे गए हैं लेकिन बाकी तमाम फ्लैक्स अभी भी भरे पड़े हैं।
सिटी डीफेसमेंट एक्ट में केस दर्ज करने का भी प्रावधान है, लेकिन वर्तमान सरकार में इकलौता मामला उस समय आया है, जब राजनीतिक पोस्टर पर सत्तापक्ष और भाजपा में खींचतान हो गई। पर्चे में किसी का नाम नहीं है। वहीं हालत यह है कि कानूनी तौर पर विज्ञापन लगाने के लिए सिर्फ 24 स्थान तय हैं।
जबकि हकीकत में दोआबा चौक, बीएमसी चौक, भगवान वाल्मीकि चौक, लव-कुश चौक से लेकर हर चौराहे में अवैध बोर्ड लगे हैं, जिनका सालाना बिजनेस करोड़ों में है। अवैध बोर्ड ट्रैफिक में खतरा बन रहे हैं। तमाम संस्थान फ्लैक्स बोर्डों पर राजनेताओं की तस्वीरें प्रकाशित करते हैं, इसी कारण निगम एक्शन नहीं लेता।
कई कंपनियां धार्मिक संदेश वाले बोर्ड लगाकर, इनके नीचे अपनी ब्रांडिंग कर रही हैं, जोकि सीधे रेवेन्यू की चोरी है। बीते वित्तीय वर्ष में विज्ञापन की बजट में आय 14 कराेड़ तय की थी। इसके विपरीत निगम विज्ञापन का टेंडर नहीं कर सका।
इस वजह से वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं हाे सका है। अब वित्तीय वर्ष 2023-24 में विज्ञापन की आय काे 5.50 कराेड़ रुपए रखा है, जबकि विज्ञापन निगम की आय का बड़ा स्रोत हैं। निगम हर वर्ष विज्ञापन से कराेड़ाें रुपए की आय करता है, लेकिन वर्ष 2017 से विज्ञापन का टेंडर लटका है। ऐसे में हर वर्ष कराेड़ रुपए के राजस्व की हानि हाे रही है। इसके विपरीत विज्ञापन एजेंसियां अवैध विज्ञापनपटाें से पैसा बटोरने में जुटी हुई हैं।
2017 से वैध होर्डिंग का कॉन्ट्रैक्ट लटका, अवैध बढ़ते जा रहे, किसी पर कार्रवाई नहीं
नगर निगम का वर्ष 2017 से विज्ञापन का टेंडर लटका है। अब सिटी में 24 यूनीपोल का अनुबंध वर्ष 2024 तक किया है और शेष विज्ञापनपटाें, बैनर-पाेस्टर और होर्डिंग्स का टेंडर रद कर दिया है। बीते वर्ष निगम ने अवैध विज्ञापन लगाने पर 222 एजेंसियाें काे नाेटिस जारी किए हैं, ताे लगभग 11 लाख रुपए जुर्माना भी वसूला है।
अब निगम सिटी में विज्ञापनपट, यूनीपोल, एंट्री गेट, हाेर्डिग्स, बैनर-पाेस्टर की साइटाें का सर्वे कराया जा रहा है। इसमें सर्वे पूरा हाेने के बाद विज्ञापन का सीधे पांच वर्ष के लिए अनुबंध हाेगा। ऐसे में सड़काें और मेन चाैराहाें के विज्ञापनपट अवैध लगे हैं, इनकाे हटाने काे निगम का एक हफ्ते से अभियान जारी है।
विदित हाे कि पूर्व कमिश्नर देविंदर सिंह ने 26 यूनीपोल काे बिना टेंडर अलाॅट किए थे, जिस पर पूर्व मेयर जगदीश राज राजा ने विज्ञापन के टेंडर की जांच काे सीधे सीएम काे पत्र लिखा है। हालांकि 26 यूनीपोल का टेंडर विवाद में हाेने पर कमिश्नर अभिजीत कपलिश ने टेंडर काे निरस्त कर दिया है। अब सिटी में विज्ञापन का पांच वर्ष के लिए कंपनी से अनुबंध हाेगा। इसके लिए कंपनी ने विज्ञापन की मेन साइटाें का सर्वे का काम पूरा करेगी। इसके बाद विज्ञापनपटाें की टेंडर प्रक्रिया शुरू हाेगी। हालांकि शहर में विज्ञापन, हाेर्डिग्स, बैनर-पाेस्टर का टेंडर नहीं हैं।
इसलिए निगम ने चुनाव अाचार संहिता में राजनीतिक पार्टियाें और विज्ञापन एजेंसियाें के विज्ञापन काे हटाने का काम शुरू कर दिया है। इस संबंध में तहबाजारी के सुपरिंटेंडेंट मनदीप सिंह ने कहा कि सिटी में 24 यूनीपोल का टेंडर वर्ष 2024 तक है, बाकी सभी का अनुबंध निरस्त कर दिया है। नगर निगम के हालात ऐसे हैं, जिन विभागों से कमाई हो सकती है, उनमें विज्ञापन भी है, लेकिन इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया जा रहा।
जिम्मेदारों से भास्कर का सवाल
सिटी में अवैध होर्डिंग को लेकर आप क्या कर रहे हैं?
विज्ञापन और हाेर्डिंग्स के लिए नए टेंडर के लिए सर्वे कराया जा रहा है। कंपनी एक महीने में सर्वे पूरा करेगी। उसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू हाेगी। इस वर्ष निगम पांच वर्ष के लिए विज्ञापन का टेंडर अलाॅट करेगा। अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई की जा रही है।-शिखा भगत, एडिशनल कमिश्नर
उप-चुनाव काे लेकर आदर्श आचार संहिता लागू हाे चुकी है। तब से ही निगम ने राजनीतिक दलाें के विज्ञापन हटाने का अभियान चला रखा है। इस दाैरान निगम ने लगभग दस हजार बैनर-पाेस्टर और विज्ञापन हटाकर अपने कब्जे में लिए हैं।