
पंजाब निर्माण प्रोग्राम स्कीम के तहत निगम के जरिए सोसाइटियों को जारी हुई ग्रांटों में बड़ी गड़बड़ी हाेने का खुलासा हुआ है। एडवोकेट जनरल पंजाब की तरफ से करवाए गए ऑडिट में ये बात सामने आई है कि निगम ने 45 सोसाइटियों और ट्रस्टों को 2.13 करोड़ से ज्यादा की राशि गलत ढंग से जारी कर दी है।
पंजाब सरकार की तरफ से इस स्कीम के तहत उन रजिस्टर्ड सोसाइटियों, चेरिटेबल ट्रस्टों के लिए फंड देने की योजना लाई गई थी, जिनकी तरफ से हेल्थ, महिलाओं, बच्चों, दिव्यांगों और सीनियर सिटीजनों की भलाई के लिए काम किया जाता है।
तय नियमों के अनुसार ये भी बताया गया था कि सोसाइटियों और ट्रस्टों के दस्तावेजों की पूरी जांच के उपरांत ही इन्हें फंड जारी किया जाए। परंतु निगम की तरफ से ऐसी सोसाइटियों और ट्रस्टों को फंड जारी किया गया है, जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर तक नहीं और तीन साल से कम समय में बने संस्थानों को भी फंड जारी कर दिया गया है। एडवोकेट जनरल पंजाब ने निगम को ब्याज समेत रिकवरी करने के आदेश जारी किए हैं।
ऐसे हुआ खुलासा: दस्तावेजों को बिना जांचे जारी किया फंड
बता दें कि स्कीम पीएम-10 स्टेट लेवल इनीशिएटिव(पंजाब निर्माण प्रोग्राम) के तहत एडवोकेट जनरल पंजाब की तरफ से मार्च 2022 से अक्तूबर 2022 तक का ऑडिट किया गया। जिसकी जांच के बाद ग्रांट इन एड के तहत जिन सोसाइटियों को रजिस्टर्ड हुए तीन साल से कम समय हुआ है उनको जारी की गई ग्रांट पर ऑब्जेशन लगा दिया गया।
ऑडिट में ये बात सामने आई कि 38 सोसाइटियों के रजिस्ट्रेशन नंबर ही नहीं थे बावजूद इसके इन्हें 175 लाख रुपए की ग्रांट जारी की गई है। वहीं 7 सोसाइटियां ऐसी सामने आईं जिनको रजिस्टर्ड हुए 3 साल भी नहीं हुए थे और उन्हें कुल 32 लाख की ग्रांट जारी की गई थी।
नियमों के तहत संबंधित संस्थानों को ग्रांट जारी करने से पहले सभी दस्तावेज प्राप्त करके ही संस्थाओं को ग्रांट इन एड संबंधी राशि जारी की जाए और दस्तावेज लेने की निजी जिम्मेदारी इंप्लीमेंटिंग एजेंसी की होगी ताकि ऑडिट ऐतराजों से बचा जा सके। जांच में ये पाया गया है कि नगर निगम की तरफ से संस्थानों के रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेजों को बिना जांचे ही ग्रांट जारी की गई है, जो कि हिदायतों के अनुकूल नहीं थे।
निगम को ये जारी हुए आदेश
डिप्टी ईएसए ने निगम को लेटर जारी की है। इसमें बताया गया है कि एजी पंजाब की तरफ से ऐतराज लगाया गया है कि जिन सोसाइटियों की रजिस्ट्रेशन तीन साल से कम है, उनको फंड जारी किया गया है। इसलिए तीन साल से कम रजिस्ट्रेशन वाली संस्थाओं को जारी की राशि ब्याज समेत वापस ली जाए।
अगर किसी को गलत तरीके से फंड जारी हुआ है ताे उसकी रिकवरी की जाएगी और फंड कैसे गलत तरीके से जारी की गई, उसकी भी जांच की जाएगी। –आदित्य डेचलवाल, एडिशनल कमिश्नर, निगम
पहले भी 25 हजार के चेक उनको बांटे गए, जो उसके हकदार नहीं थे
बता दें कि पंजाब निर्माण प्रोग्राम के तहत ये खुलासा पहले भी हो चुका है कि 25-25 हजार के चेक उन लोगों को बांट दिए गए थे, जो इस योजना के हकदार ही नहीं थे। ये भी खुलासा हुआ था कि पिछली सरकार के समय चुनाव से ठीक पहले इस योजना के तहत निगम के अधिकारियों ने पूर्व विधायकों द्वारा बनाई गई सूची पर आंख बंद करते हुए काम किया था और ग्रांटों के चेक विधायकों के जरिए ही नगर निगम की तरफ से बंटवा दिए थे। ऐसे ही सोसाइटियों और ट्रस्टों को चेक बांटे गए थे। जिन पर एेतराज लग चुके हैं।

