
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से 12 साल के बाद दोबारा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। गुरुद्वारा आयोग के मुख्य आयुक्त जस्टिस एस.एस. सराओं (रिटायर्ड) के द्वारा पंजाब के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर को पत्र जारी करके SGPC के नए बोर्ड के गठन के लिए वोटर सूचियों की तैयारी का कार्य शुरू कर दिया गया है।
SGPC चुनाव हर 5 साल के बाद करवाए जाते हैं, लेकिन बीते 7 सालों से इसे नहीं करवाया गया। पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने नवंबर महीने में SGPC के चुनाव करवाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। वहीं सांसद सिमरनजीत सिंह मान भी इसकी मांग उठाते रहे हैं। यह फैसला तब आया है, जब आने वाले कुछ दिनों में ब्लू स्टार ऑपरेशन की बरसी भी होने वाली है।

21 साल से ज्यादा आयु वाले नाम दर्ज करा सकते हैं
गुरुद्वारा आयोग के द्वारा भेजे गए ताजा पत्र में नए मतदाताओं का नाम दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन नए नाम दर्ज करने के लिए इसमें शर्तें रखी गई हैं। 21 साल से अधिक आयु का कोई भी सिख इसमें नाम दर्ज करवा सकता है।
बेशर्त, वह केस व दाढ़ी भी न काटता हो। शराब का सेवन न करता हो और सिगरेट- तंबाकू आदि का भी सेवन न करता हो। इन शर्तों को पूरा करने वाला कोई भी सिख संबंधित पटवारी के पास जाकर अपना नाम पंजीकृत करवा सकता है।
2016 को होने थे चुनाव
SGPC की स्थापना वर्ष 1920 में 16 नवंबर को गुरुद्वारा सुधार आंदोलन के साथ हुई थी। सिखों की मिनी संसद के नाम से पहचान रखने वाली SGPC के चुनाव अंतिम बार 2011 में करवाए गए थे। हर 5 सालों के बाद होने वाले यह चुनाव 2016 में दोबारा करवाए जाने थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तब से लेकर अब तक हर साल 2011 के चुने गए सदस्यों की रजामंदी से ही प्रधान चुना जाता रहा है।
170 सदस्यों का होता है चुनाव
SGPC में कुल सदस्यों की संख्या 191 है। इसमें 170 सदस्य चुने हुए, 15 मनोनीत, 5 तख्तों के प्रमुख और 1 हेड ग्रंथी स्वर्ण मंदिर के होते हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 56,40,943 है। 2011 में हुए चुनाव के अनुसार सबसे ज्यादा वोटर पंजाब (52.69 लाख) से हैं। इसके अलावा हरियाणा के 3.37 लाख, 23,011 हिमाचल प्रदेश और 11,932 वोटर चंडीगढ़ से हैं।
बीते साल ही हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अलग से गठन किया गया। SGPC के इन चुनावों में इस साल यह वोटर रहेंगे या नहीं, इस पर अभी संशय बना हुआ है।
प्रकाश सिंह बादल के बाद राह मुश्किल
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के देहांत के बाद यह चुनाव पहली बार होने जा रहे हैं। सभी जानते हैं कि प्रकाश सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों व अकाली दल नेताओं को समेट रखा था। लेकिन उनके जाने के बाद अंतर-फूट बड़ चुकी है।
वहीं, बीते दो विधानसभा चुनावों व अन्य उपचुनावों में अकाली दल की स्थिति निराशाजनक रही है। जिसे स्पष्ट होता है कि इस बार SGPC चुनावों की राह आसान नहीं रहेगी। वहीं आम आदमी पार्टी और केंद्र में भाजपा अपने सिख चेहरों के माध्यम से SGPC पर अपना होल्ड बनाने का प्रयास भी करेंगे।
सरकार की तरफ से जारी आदेश-



