
पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा की हिस्सेदारी को लेकर चंडीगढ़ में हुई मीटिंग में बात नहीं बन पाई। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने हरियाणा के शेयर को देने से साफ इनकार कर दिया। पंजाब गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में एक घंटे चली मीटिंग में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने अपना पक्ष रखा, लेकिन पंजाब के सीएम ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए हिस्सेदारी देने से मना कर दिया। अब इसी मुद्दे को लेकर 3 जुलाई सुबह 11 बजे होगी अगली मीटिंग बुलाई गई है।
मीटिंग के बाद पंजाब CM भगवंत मान ने कहा- ‘1970 में बंसीलाल हरियाणा के CM थे। उन्होंने अपनी मर्जी से यूनिवर्सिटी से हिस्सा निकाल लिया और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कॉलेज जोड़ लिए। इस वक्त यूनिवर्सिटी को 40% फंड पंजाब दे रहा है। हिमाचल ने भी अपनी मर्जी से हिस्सेदारी छोड़ी। इसके बाद PU को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की गेम चली।
मान ने 26 अगस्त 2008 की पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल की PM मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी दिखाई। जिसमें उन्होंने PU को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर किसी तरह का ऑब्जेक्शन न होने की बात कही थी।
इसके बाद मैंने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी कि इसे सेंट्रल बॉडी न बनाएं। फिर पंजाब विधानसभा में 30 जून 2022 को प्रस्ताव पास किया, जिसमें कहा कि केंद्र PU में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है लेकिन यह इंटरस्टेट बॉडी ही रहेगी।
अगस्त 2022 में कांग्रेस की महिला विधायक हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव लेकर आए कि हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता दिलाई जाए।
जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। मान ने कहा कि हमारी तरफ से इसको लेकर कोरी ना है। उन्होंने तंज भी कसा कि क्या हरियाणा वाले कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी को ऐसा नहीं बना सके कि स्टूडेंट पंजाब यूनिवर्सिटी से डिग्री की बात कह रहे हैं।

हरियाणा के CM मनोहर लाल ने कहा- ‘हरियाणा के युवाओं को बेहतर शिक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हरियाणा के युवाओं और कॉलेज को मिले पंजाब यूनिवर्सिटी का विकल्प मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉलेज के एफिलिएशन से विश्वविद्यालय में हरियाणा के छात्र भी शिक्षा ले पाएंगे।’
चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि ज्ञान की गंगा हमेशा बहती रहती चाहिए। तक्षशिला, नालंदा के वक्त से हमारी संस्कृति ने यह ज्ञान दिया है।
PU ने कहा- पंजाब नहीं दे रहा अपना वित्तीय शेयर
मीटिंग में पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से आए प्रतिनिधियों ने बताया कि पंजाब अपना वित्तीय शेयर पंजाब यूनिवर्सिटी को नहीं दे रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से पिछले 10 सालों में 200-300 करोड़ औसत प्रति वर्ष की ग्रांट दी जा रही है, लेकिन पंजाब की तरफ से पिछले 10 सालों केवल 20-21 करोड़ औसत प्रति वर्ष ही दिए गए हैं। जबकि पंजाब को 40% बजट पीयू को देना चाहिए। पंजाब अपने हिस्से के मुकाबले में 7-14 फीसदी ही बजट दे रहा है।
1990 तक हरियाणा सरकार से मिली ग्रांट
बीते तीन दशक से अधिक समय से पंजाब यूनिवर्सिटी को पंजाब सरकार द्वारा ही ग्रांट जारी की जाती रही है। जबकि, साल 1990 तक हरियाणा सरकार द्वारा भी 40 प्रतिशत ग्रांट दी जाती रही। इसके पीछे कई प्रकार के राजनीतिक कारण रहे, लेकिन हरियाणा से ग्रांट बंद होने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए केंद्र सरकार और पंजाब सरकार द्वारा ही ग्रांट दी जाती रही है।
इससे पंजाब यूनिवर्सिटी की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती गई, यदि हरियाणा सरकार PU को अब दोबारा ग्रांट देनी शुरू करती है तो यूनिवर्सिटी को आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी।
