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Thursday, June 12, 2025
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Rajasthan Paper Leak Case: पेपर लीक मामले में अब तक 55 आरोपी गिरफ्तार, ज्यादातर के पिता सरकारी टीचर

Rajasthan Paper Leak Case: इस पेपर के लीक होने के बाद कई अभ्यर्थी सदमे में हैं. उनका कहना है कि हमारी कई सालों की मेहनत एक पल में व्यर्थ हो गई.

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(पुलिस की गिरफ्त में आरोपी, फाइल फोटो)

Rajasthan Paper Leak Case: राजस्थान में पेपर लीक मामले में अब तक 55 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी हैं. इसमें चौंकाने वाली बात ये सामने आ रही है कि आरोपियों में से 70-80 फीसदी के पिता सरकारी नौकरी में हैं और इनमें भी शिक्षक ज्यादा हैं. साथ ही अभी मामले में पुलिस जांच कर रही है, जिसमें और भी परतें खुलेंगी. वहीं इस पेपर के लीक होने पर कई अभ्यर्थी सदमे में हैं जो इसके लिए वर्षों से तैयारी कर रहे थे. एबीपी ने अभ्यर्थियों से बात की तो उन्होंने अभी पीड़ा बताई. किसी ने कहा अब तो सरकारी कर्मचारी बनने का सपना ही बदलना होगा तो किसी ने कहा पूरा मनोबल ही टूट गया. आइए जानते हैं क्या कहते हैं विद्यार्थी.

‘ये हमारा मानसिक उत्पीड़न’
डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा की रहने वाली आंचल जोशी ने कहा, “हम सदमें में हैं. दो साल से इसकी तैयारी कर रही थी. 2 साल का मेरा बेटा भी है.  पेपर निरस्त होने से पूरा मनोबल ही टूट गया है. एक बार हो दो बार हो लेकिन हर परीक्षा में इस प्रकार की कमियां आ रही हैं. यह एक हमारा मानसिक उत्पीड़न है और ऐसा मानसिक उत्पीड़न जो यह सरकार नहीं समझ सकती.”

‘सरकार की लापरवाही’
वहीं बांसवाड़ा निवासी दामिनी जानी ने कहा, “मैं तृतीय श्रेणी अध्यापक पद पर सेवाएं दे रही हूं. आगे बढ़ने के लिए नौकरी के साथ-साथ इस परीक्षा की भी तैयारी की थी. इसकी तैयारी पिछले चार साल से कर रही हूं. किस अन्य व्यक्ति के पेपर लीक करने से सालों से की गई तैयारी एक पल में व्यर्थ हो गई. लगातार एक के बाद एक कई पेपर लीक हो रहे हैं. यह सरकार की बड़ी लापरवाही है. सरकार की ऐसी लापरवाही वर्षों से तैयारी कर रहे हम जैसे विद्यार्थी के भविष्य पर प्रभाव डालती है. सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए और यही कोशिश होनी चाहिए कि आगे से ऐसी कोई वारदात न हो.

‘सपना बदलना पड़ता है’
इसके अलावा उदयपुर निवासी मनफूल मीणा ने कहा, मैं, “पिछले एक वर्ष से तैयारी कर रही हूं, जिसके कारण मुझे मेरे परिवार से दूर रहना पड़ा. इस दौरान मुझे खाने की समस्या से लेकर रहने तक की समस्या का सामना करना पड़ा. परिवार की उम्मीदें हर साल के बढ़ने पर कम हो जाती है और मेरी उम्र और जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. ये सरकार की नजरअंदाजी है कि केवल पेपर लीक होना दिखता है उसके पीछे बच्चो के मायूस चेहरे, उनकी मेहनत, उनका बीता हुआ, समय उनके गये पैसे नजर नहीं आते, आखिर में उन्हे परेशान होकर अपना सपना बदलना पड़ता है.”

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