
पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक परकाश सिंह बादल का मंगलवार को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ के बाद 16 अप्रैल को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने रात 7:42 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम भगवंत मान समेत कई हस्तियों ने शोक जताया। केंद्र सरकार ने दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए बुधवार को चंडीगढ़ के सेक्टर-28 में शिअद ऑफिस में सुबह 10 से 12 बजे तक रखी जाएगी। इसके बाद उनकी शव यात्रा राजपुरा, पटियाला, संगरूर, बरनाला, रामपुरा फूल से होते हुए बठिंडा के बादल गांव ले जाई जाएगी। वहां वीरवार दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
परकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को मुक्तसर के छोटे से गांव अबुल खुराना के जट्ट सिख परिवार में हुआ था। पंजाब की सियासत के सबसे बड़े खिलाड़ी परकाश सिंह बादल की तमन्ना डॉक्टर बनने की थी।
एक साल डॉक्टरी की पढ़ाई भी की। वर्ष 1959 में सुरिंदर कौर से शादी हुई। उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल और बेटी परनीत कौर है। बहू हरसिमरत कौर बादल सांसद हैं। बड़े बादल की पत्नी का निधन 2011 में कैंसर से हो गया था।
उन्होंने 1947 में राजनीति शुरू की थी। सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। 1957 में उन्होंने सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते। पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने। 11 बार विधायक रहे।
उन्हें 2015 में पद्मविभूषण दिया गया था। हालांकि, उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में इसे लौटा दिया था। परकाश सिंह बादल ने 2022 में भी पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार थे। हालांकि उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित
बादल साहब ने कठिन समय में पंजाब को सहारा दिया : पीएम
बादल जी के निधन पर अत्यंत दुख हुआ। वह भारतीय राजनीति की महान हस्ती थे और उल्लेखनीय राजनेता थे। उन्होंने हमारे देश के लिए बहुत योगदान दिया। पंजाब की प्रगति के लिए अथक मेहनत की और कठिन समय में राज्य को सहारा दिया। नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
वाहेगुरु दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे: मान
पूर्व मुख्यमंत्री परकाश सिंह बादल जी के निधन का दुखद समाचार मिला है। वाहेगुरु दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को दुख सहने की शक्ति दे।
भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब
भारत और पंजाब की राजनीति के कद्दावर नेता रहे: राहुल
परकाश सिंह बादल के निधन का समाचार दुखद है। वे आजीवन भारत और पंजाब की राजनीति के कद्दावर नेता रहे। सुखबीर बादल समेत उनके सभी शोकाकुल परिजनों और समर्थकों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
पाश से बड़े बादल तक सफर
तुम्हें तहसीलदार नहीं बनना, बनाने हैं… और माना आदेश
परकाश सिंह बादल के घर का नाम पाश था। एक बार अकाली दिग्गज ज्ञानी करतार सिंह से मन की बात साझा की तो वो बोले- तुम्हें तहसीलदार नहीं बनना। जननेता बनकर तहसीलदार बनाने हैं। ज्ञानी जी की बात को आदेश मानकर पूरी तरह अकाली सियासत में समर्पित हो गए।
अकाली मोर्चा में अहम रोल
देश की सियासत में क्षेत्रीय दलों को पहचान दिलवाई
स. बादल राष्ट्रीय राजनीति के भी केंद्र में रहे। क्षेत्रीय पार्टियों को पहचान दिलाने में स. बादल का अहम योगदान रहा। इमरजेंसी के खिलाफ मोर्चा के पीछे स. बादल की अहम भूमिका रही। शिअद को केवल सिख नहीं, सभी धर्मों, राज्यों की पार्टी बनाने का श्रेय बादल को जाता है। 1996 के मोगा डेक्लारेशन में स. बादल ने पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का नारा दिया। इसके बाद भाजपा के सहयोग से कई बार सरकार बनाई।
एसवाईएल पर कड़ा रुख
नहर के लिए एक्वायर की जमीन किसानों को लौटाई
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर 2016 में बादल ने मुख्यमंत्री रहते सख्त स्टैंड लिया। बोले- पंजाब के पानी पर मेरा स्टैंड क्लियर है। एसवाईएल के लिए एक्वायर की जमीन किसानों को वापस करेंगे क्योंकि नहर बनाकर हरियाणा को देने के लिए पंजाब के पास पानी है ही नहीं।
1947 में सरपंच से शुरुआत, सीएम बनने तक का सफर…
1970 पहली बार 43 साल की उम्र में सीएम बने। देश के सबसे युवा सीएम थे। जनसंघ से गठजोड़ किया था।
1977 केंद्र सरकार से इस्तीफा देकर 1977 से 1980 तक दूसरी बार पंजाब के सीएम की कमान संभाली।
1997 तीसरी बार सीएम बने। भाजपा के साथ गठजोड़ किया। इस बार पूरे 5 साल तक सरकार चलाई।
2007 67 सीटें हासिल कर अकाली-भाजपा गठजोड़ ने सरकार बनाई। बादल चौथी बार सीएम बने।
2012 5वीं बार कमान संभाली। 84 साल की उम्र में सीएम बनने वाले सबसे बुजुर्ग सीएम बने।

