ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी बीमारी जिसमें मरीज की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है.इस बीमारी के लिए आनुवांशिकता को जिम्मेदार माना जाता है

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ( Image Source : Freepik )
Duchenne Muscular Dystrophy: दुनिया भर में एक से बढ़कर एक घातक और दुर्लभ बीमारी है जो महिलाओं और पुरुषों दोनों को ट्रिगर करती है. लेकिन आज हम ऐक ऐसी बीमारी के बारे में बात करने जा रहे हैं जो महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को प्रभावित करती है. इस बीमारी का नाम है ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है.एक ऐसी बीमारी जिसमें मरीज की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है. इस समस्या के शिकार लोगों के लिए जीवन के सामन्य कामकाज काफी कठिन हो जाते हैं.ये बीमारी साढ़े तीन हजार लड़कों में से किसी एक को होती है . हालांकि कुछ केस में महिलाएं भी इससे प्रभावित हो सकती हैं और सबसे दुखद बात यह है कि इस बीमारी का अब तक कोई इलाज मौजूद नहीं है.
ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण
ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी होने पर मांसपेशिया कमजोर हो जाती है. इसका सबसे पहला लक्षण मांसपेशियों में कमजोरी ही होती है. धीरे-धीरे मांसपेशियां टिशूज को नुकसान पहुंचाने लगती है और एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति का निचला हिस्सा काम करना बंद कर देता है. जो बच्चे इस बीमारी की चपेट में आते हैं वह किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर पाते हैं. चलने फिरने में भी तकलीफ होती है और एक वक्त के बाद ये पूरे शरीर को प्रभावित करने लगती है. यहां तक की व्यक्ति को उठने बैठने तक में दिककत आने लगती है. इससे दिल और रेस्पिरेट्री सिस्टम से भी जुड़ी समस्या हो सकती है.20 की उम्र आते-आते मरीज सपोर्ट वेंटिलेशन पर डिपेंड रहने लगता है.
ये है इस बीमारी की वजह
इस बीमारी के लिए आनुवांशिकता को जिम्मेदार माना जाता है यानि कि जिन लोगों के परिवार में पहले से ही किसी को ये विकार रह चुका है उनमें ये विकसित होने का खतरा हो सकता है.सामन्य तौर पर इसके लक्षण 2 से 4 साल की उम्र में दिखने शुरू हो जाते हैं.अन्य कारण में एक प्रोटीन की कमी है.डिस्ट्रोफिन नाम का एक प्रोटीन मुख्य रूप से मांसपेशियों में पाई जाती है.इसमें कमी होने के कारण ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी होती है.
क्यों पुरुषों को होता है ज्यादा खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों में ये बीमारी इसलिए ज्यादा होती है क्यों कि डायस्ट्रोफिन जीन एक्स क्रोमोजोम पर होता है औऱ पुरुषों के पास एक एक्स क्रोमोजोम होता है और महिलाओं के पास दो क्रोमोजोम होता है.इसलिए महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक डायस्ट्रोफिन का उत्पादन करती है.यही कारण है कि महिलाओं को डीएमडी होने का खतरा कम होता है