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Tuesday, July 15, 2025
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UP Politics: सपा में शामिल होने पर भी शिवपाल यादव को अब तक क्यों नहीं मिली जिम्मेदारी, भूपेंद्र चौधरी ने बताई वजह

UP News: भूपेंद्र चौधरी ने कहा, अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का अंतर्कलह और अंतर्विरोध खत्म होने वाला नहीं हैं. दोनों के बीच अब भी वर्चस्व की लड़ाई है ये बात वो भी जानते हैं.

Bhupendra Chaudhary on Akhilesh Yadav: मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll Results) में समाजवादी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने हाथों से चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) की पार्टी में वापसी कराई थी. जिसके बाद माना जा रहा था कि अखिलेश यादव जीत के रिटर्न गिफ्ट के तौर पर शिवपाल यादव को पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं, लेकिन सपा (SP) का झंडा थामने के कई दिन गुजर जाने के बाद भी उन्हें अब तक पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिल पाई है. जिसे लेकर अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary) ने सवाल उठाए हैं.

भूपेंद्र चौधरी ने शिवपाल यादव को कोई जिम्मेदारी न दिए जाने को लेकर समाजवादी पार्टी पर तंज कसा और कहा कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का अंतर्कलह और अंतर्विरोध खत्म होने वाला नहीं हैं. दोनों के बीच अब भी वर्चस्व की लड़ाई है ये बात वो भी जानते हैं. भूपेंद्र चौधरी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका परिवारिक संगठन है. भाजपा जैसा लोकतंत्र तो है नहीं, कि किसी से बातचीत करके निर्णय करने हैं. उन्हें तो अपने आप से व्यक्तिगत निर्णय करने हैं, फिर भी अब तक शिवपाल यादव को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया.

भूपेंद्र चौधरी ने साधा निशाना

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने शिवपाल सिंह यादव पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो कभी सपा से अलग ही नहीं हुए हैं. वो हमेशा से सपा में ही है. साल 2017 में वो सपा से विधायक थे और 2022 में भी सपा के विधायक हैं. भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि चाचा-भतीजा की जो अंतर्विरोध की लड़ाई है वो समाप्त होने वाली नहीं है. अखिलेश और शिवपाल के बीच जो वर्चस्व की लडाई है उसे दोनों जानते हैं लेकिन तत्कालिक परिस्थिति के हिसाब से उन्होंने फैसला किया होगा.

 

वहीं मैनपुरी उपचुनाव में जीत को लेकर उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव सपा के बड़े नेता थे, प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, केंद्र में रक्षा मंत्री रहे. उनके प्रति साहनुभूति के कारण सपा चुनाव जीतने में सफल रही, लेकिन निश्चित रूप से शिवपाल और अखिलेश का अंतर्विरोध हमेशा रहेगा.

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