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Wednesday, July 30, 2025
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भूकंपरोधी और सामान्य बिल्डिंग में क्या फर्क होता है? क्या सच में ये भूकंप आने से गिरती नहीं हैं

Turkiye Earthquake: भूकंपरोधी इमारत में भूकंप के दौरान जब नींव हिलती है तो सिर्फ उसके नीचे के आइसोलेटर्स हिलते हैं और पूरी इमारत स्थिर बनी रहती है.

Turkiye Earthquake Updates Difference Between An Earthquake Resistant Building And A Normal Building भूकंपरोधी और सामान्य बिल्डिंग में क्या फर्क होता है? क्या सच में ये भूकंप आने से गिरती नहीं हैं

भूकंप ( Image Source : Pixabay )

Earthquake Resistant Building: तुर्की में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप (Earthquake) ने भारी तबाही मचाई. एक के बाद एक कई शक्तिशाली झटकों से सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं. जिसमें दबकर तकरीबन 1500 लोगों की मौत हो गई. ऐसे में भूकंपरोधी इमारतों की जरूरत महसूस होती है. ये इमारतें काफी हद तक भूकंप के झटकों को झेल लेती हैं और होने वाले नुकसान को कम कर देती हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि भूकंपरोधी घर बनाने में सामान्य घर के लागत का 5 से 10 फीसदी ही ज्यादा खर्च होता है. ये सामान्य इमारतों से अलग होती है. एक सवाल यह भी है कि क्या सच में इन इमारतों पर भूकंप का कोई असर नहीं होता? क्या कितना भी तीव्र भूकंप आ जाए, ये नहीं गिरेंगी?

क्या सच में भूकंप में नहीं गिरती ये इमारतें?
सच तो यह है कि दुनिया में कहीं भी ऐसी कोई इमारत नहीं हो जो 100 फीसदी भूकंपरोधी हो. इंजीनियर और आर्कियोलॉजिस्ट अभी भी किसी ऐसी चीज की खोज में हैं, जो पृथ्वी से भी अधिक मजबूत हो. किसी भी इमारत के भूकंप सहने की क्षमता उस इमारत की बनावट, इस्तेमाल किए गए मैटेरियल्स और डिजाइन पर निर्भर करती है. भूकंपरोधी इमारतों (Earthquake Resistant Buildings) को बनाने में निर्माण प्रक्रिया बहुत मायने रखती है.

कई कारकों पर होती है निर्भर
भूकंप से बचने के लिए बनाई गई इमारतों का प्राथमिक लेआउट अलग तरह से तैयार किया जाता है. ये इमारतें विशेष मैटेरियल्स और बीम से बनाई जाती हैं. इससे यह भूकंपों के झटके से बची रहती हैं. इन इमारतों का मैटेरियल और बीम, भूकंपों के झटके को रोक लेते हैं. किसी भी इमारत को भूकंपरोधी बनाने के लिए आगे लिखे तरीके अपनाए जाते हैं.

मजबूत नींव
इमारत को भूकंपरोधी बनाने के लिए उसकी नींव को जमीन के ऊपर तक रखें. नींव को बेस आइसोलेशन के जरिए मजबूत किया जा सकता है. बेस आइसोलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें भूकंप के दौरान जब इमारत की नींव हिलती है तो सिर्फ उसके नीचे के आइसोलेटर्स हिलते हैं और इमारत स्थिर बनी रहती है.

 

कंस्ट्रक्शन्स स्ट्रक्चर को मजबूत बनाना
इमारतों की स्ट्रक्चर को क्रॉस ब्रेसिज़ और शीयर वॉल तकनीक से मजबूत बनाया जाता है. इमारत को मजबूत करने के लिए मोमेंट-रेसिस्टेंट फ्रेम और डायाफ्राम भी बेहद जरूरी होते हैं.

शीयर वॉल
शीयर वॉल इमारतों में भूकंप के झटके को रोकने में मदद कर सकते हैं. ये कई पैनलों से बने होते हैं और भूकंप के दौरान इमारत को टिके रहने में मदद करते हैं.

मोमेंट रेसिस्टेंट फ्रेम्स
मोमेंट रेसिस्टेंट फ्रेम्स इमारत के डिजाइन में प्लास्टिसिटी प्रदान करते हैं. इस तकनीक के इस्तेमाल से इमारत भूकंप के कारण लगने वाली शॉकवेव का विरोध करने में सक्षम होती है.

मैटेरियल की भी होती है भूमिका
हालांकि, इतना सब होने के बाद यह गारंटी तो नहीं होती कि कितना भी तीव्र भूकंप आने पर वह इमारत नहीं गिरेंगी, लेकिन एक लिमिट तक का भूकंप इनपर बेअसर रहता है. भूकंपरोधी इमारत बनाने के लिए, निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का भी खास रोल होता है. भूकंप के दौरान होने वाले कंपन और तनाव से बचने के लिए मैटेरियल्स में लचीलापन होना चाहिए, जैसे लकड़ी या स्टील. स्ट्रक्चरल स्टील काफी हद तक इमारतों को बिना टूटे झुकने की सुविधा देता है. इसके अलावा, लकड़ी एक नमनीय और हल्का मैटेरियल है.

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