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Monday, June 9, 2025
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मदरसे में पढ़ने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ…, जानें क्या था माफिया फैमिली का ‘ऑपरेशन जानू’

Atiq Ahmed Operation Janu: 17 जनवरी 2007 को उत्तर प्रदेश में मदरसा रेप कांड का मामला उजागर हुआ था. ये पूरा मामला अतीक अहमद की गैंग से जुड़ा था.

atiq and ashraf ahmed gang rape with minor girls studying in madrasa operation janu मदरसे में पढ़ने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ..., जानें क्या था माफिया फैमिली का 'ऑपरेशन जानू'

अतीक अहमद और अशरफ अहमद ( Image Source : PTI )

Atiq-Ashraf Gangrape Case: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस इनके गैंग से जुड़े हर अपराध की फाइल खोल रही है. अब इस माफिया फैमिली के एक और ऑपरेशन का खुलासा हुआ है. अतीक और अशरफ की गैंग ने कई गरीब मुस्लिम लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया था. आज इस मदरसा कांड के हर एक सच का खुलासा हुआ है. चलिए आपको बताते हैं क्या है माफिया फैमिली का ‘ऑपरेशन जानू’.

17 जनवरी 2007 को इलाहाबाद के करेली के बालिका मदरसे में पढ़ने वाली कुछ लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था. ये मामला उस वक्त भी काफी ज्यादा उजागर हुआ था. इस कांड के बाद अशरफ कभी चुनाव नहीं जीत सका और उसका पूरा राजनीतिक करियर भी बर्बाद हो गया था. इस मदरसे की 16 गरीब छात्राओं के साथ अतीक के गैंग ने रेप किया लेकिन इस कांड के बारे में सबकुछ पता होने के बावजूद भी अतीक-अशरफ के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया.

नाबालिग लड़कियों के साथ गैंगरेप 

17 जनवरी को हुई गैंगरेप की इस वारदात ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिलाकर रख दिया था लेकिन इस मामले की एफआईआर में बलात्कार शब्द का इस्तेमाल तक नहीं किया गया था. इस घटना में बंदूकधारियों ने दो नाबालिग लड़कियों को मदरसे से उठाया था. उनके साथ रातभर रेप किया गया. अगली सुबह गैंगरेप पीड़िताओं को लहूलुहान मदरसे के गेट पर फेंक दिया गया गया.

 

2021 में फिर से उठा मामला 

बड़ी बात ये है कि इस कांड के सामने आने के दौरान अतीक खुद सांसद और अशरफ विधायक हुआ करता था. इस मदरसे का संचालक वाराणसी संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट में फांसी की सजा पाए आतंकी वलीउल्लाह का भाई था. इस कांड में अबतक किसी को सजा नहीं मिली है. सभी लड़कियां कहां गई आजतक उनका पता नहीं चल सका है. दो दशक बाद साल 2021 में योगी सरकार ने इस मामले की फिर से जांच करवाने के आदेश दिए थे. इसके बाद स्थानीय मुस्लिमों का एक बड़ा तबका अतीक अहमद के खिलाफ हो गया था और अतीक और उसका परिवार दुबारा कभी चुनाव नहीं जीत सके.

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