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Saturday, November 8, 2025
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20 वर्षीय लड़की लड़का बन निभा रही जिम्मेदारी:पिता से सीखी ड्राइवरी, भाई व पिता की मौत के बाद इसी को बनाया रोजगार

पिकअप के पास व अपने परिवार के साथ सानिया। - Dainik Bhaskar
पिकअप के पास व अपने परिवार के साथ सानिया।

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। आज हम उस लड़की की बात करेंगे जो लड़की कमर्शियल वाहन चलाती है और बेरोक-टोक पर बिना किसी डर भय से दिन-रात सड़कों पर अपनी महेंद्रा पिकअप गाड़ी खुद चलाकर कंपनी का कई टन माल विभिन्न शहरों में सप्लाई करती है। मलोट शहर की रहने वाली सानिया शर्मा के पिता टैक्सी चलाते थे और वह सानिया को हमेशा लड़कों की तरह लोगों में विचरने की जांच सिखाते थे कि लड़की बनकर नहीं लड़का बनकर बात करनी है।

सानिया अपने पिता से कार चलाना सिख गई थी। पिता ने भले सानिया को ड्राइविंग शौक से ही सिखाई थी परंतु क्या पता था कि सानिया को पिता द्वारा मिली यह दात उसके पूरे परिवार के पालन-पोषण के तौर पर काम आएगी। सानिया शर्मा 20 वर्ष की है परंतु हौसला व शक्ति इतनी है कि आज पुरुषों के मुकाबले महिला बनकर नहीं पुरुष बनकर रहती है। सानिया शर्मा का बचपन बहुत मुश्किल भरा रहा, परंतु आर्थिक तंगी के बावजूद सानिया 12 तक पढ़ी। सबसे बड़े भाई की मौत के बाद सानिया के पिता की मानसिक परेशानी के चलते मौत हो गई।

परिवार में सानिया के 2 बड़ी बहनें व तीन छोटे भाई व एक बुजुर्ग मां व बड़ी बहनों के विवाह के बाद परिवार में बड़ी सानिया ही थी। इसने पिता से ड्राइविंग सिखी और आज सानिया इनवेटर, सोलर व ई-रिक्शा तैयार करने वाली कंपनी में बतौर कमर्शियल ड्राइवर के तौर पर काम कर रही है।

सानिया ने बताया कि उसके बड़े भाई व बड़ी बहन के विवाह की तैयारियां में बड़े भाई की अचानक बीमार होने से मौत हो गई। इसी सदमें में पिता भी चल बसे। सानिया ने घर चलाने के लिए छोटा हाथी किस्तों पर ले लिया, परंतु लड़की होने के कारण उसे काम बहुत कम मिलता था फिर बहनों के विवाह के लिए छोटा हाथी बेचकर विवाह करने के उपरांत सानिया ने बाजार में चाय का ठेला लगाया, परंतु घर का गुजारा मुश्किल से होने से उसने पहले किरयाने की दुकान पर नौकरी की, फिर पेट्रोल पंप पर सेल्सगर्ल की सेवाएं निभाई।

इस दौरान उसका एक फैक्ट्री मालिक सतनाम सिंह से मेल हुआ। उसने अपनी फैक्ट्री में 80 प्रतिशत महिलाओं को काम दिया हुआ, ने सानिया को अपनी फैक्ट्री में ड्राइवर के रूप में रखा। पहले-पहले 10-15 किलोमीटर तक माल सप्लाई करवाया, जिसके बाद सानिया ने अपनी इच्छा से महेंद्रा पिकअप पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान आदि विभिन्न शहरों तक जाना शुरू कर दिया। करीब 5 सालों से वह अकेली दिन-रात कंपनी का माल सप्लाई करती है। अपनी बुजुर्ग मां व तीन छोटे भाइयों को पढ़ा रही है।

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