
गुड़गांव में कीमती जमीन की सौदेबाजी का बड़ा खेल सामने आया है। राजस्व व नगर निकाय विभाग के कर्मियों ने औद्योगिक जमीन काे कृषि भूमि में बदलकर कंपनियों को करोड़ों का फायदा पहुंचाया है। वहां अवैध कॉलोनी काट दी गई।
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच में खुलासा हुआ है कि जो जमीन कलेक्टर रेट के अनुसार 40.03 करोड़ थी व उसकी स्टांप ड्यूटी 2.80 करोड़ बनती है, कृषि भूमि में बदलने से उसकी कीमत 8 करोड़ व स्टांप ड्यूटी 56 लाख रह गई। अफसरों ने कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार को 2.27 करोड़ की चपत लगाई।
रिपोर्ट की मानें तो कंपनी और एक एडवोकेट के बीच चली ई-मेल में अफसरों को दी गई रिश्वत का ब्योरा है। इसमें लिखा है- जमीन की बिक्री 14.14 करोड़ रुपए। स्टांप ड्यूटी 56 लाख रु.। तहसीलदार 41 लाख, क्लर्क फीस 5 हजार, एमसीजी 11.20 लाख, इलेक्ट्रिसिटी 15 लाख, रोड सेवर-16 लाख रु., ज्वाॅइंट कमिश्नर 10 लाख रुपए।
कुल खर्च-1.43 करोड़ रुपए। बचत 13 करोड़ रुपए। प्रारंभिक जांच के बाद एसीबी ने गुड़गांव के तहसीलदार दर्पण कंबोज, गुड़गांव नगर निगम के तत्कालीन जेटीओ हेड क्वार्टर दिनेश, तत्कालीन ज्वाॅइंट कमिश्नर, मैसर्ज जांघू रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हरीश कुमार व मैसर्ज निप्पोन स्टेरिंग एंड सस्पेंशन के निदेशक रविंद्र सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। रिपोर्ट में लिखा कि यह राशि बतौर रिश्वत अधिकारियों-कर्मचारियों को दी गई।
ऐसे खेला खेल… मै. निप्पोन स्टेरिंग एंड सस्पेंशन की गुड़गांव के सेक्टर-106 के 6 बीघा 7 बिस्वा, 13 बिसवांसी जमीन है। नगर निगम के अनुसार यह औद्योगिक क्षेत्र है। इसकी कैटेगिरी इंडस्ट्रियल, स्टेट में अनएप्रूव्ड है। 19 जनवरी 2021 को यही डेटा एनडीसी, डीयूएलबी को भेजा।
19 अगस्त 2021 को जेडटीओ हेड क्वार्टर ने एनडीसी को गलत डेटा भेज दिया। इसमें कैटेगिरी मिक्स्ड यूज व स्टेट्स अप्रूव्ड बता दिया। ये रिकॉर्ड एनडीसी पोर्टल पर चढ़ गया।
ऑनलाइन के बजाय ऑफलाइन की रजिस्ट्री
राज्य सरकार ने रजिस्ट्री ऑनलाइन मोड पर की हुई है, लेकिन इस जमीन की खरीद-फरोख्त में ऑफलाइन मोड अपनाया गया। इसके अलावा तहसीलदार ने रजिस्ट्री करते वक्त 7ए के तहत डीटीपी से एनओसी भी नहीं ली।
सरकार को 2.23 करोड़ रुपए की चपत लगाई
उक्त जगह रिहायशी जमीन की कीमत प्रति वर्ग गज 27 हजार रु. है। इंडस्ट्री के रेट से जमीन की कीमत 40.56 करोड़ रु. बनती है, जिसकी स्टांप ड्यूटी 2.80 करोड़ रु. होनी चाहिए, लेकिन कृषि भूमि में बदलने से स्टांप ड्यूटी 56 लाख रह गई।

