
पंजाब के हजारों करोड़ रुपए के ड्रग्स मामले में नौकरी से बर्खास्त एवं IPC की गंभीर धाराओं के तहत दर्ज केस में नामजद AIG राजजीत सिंह का सुराग तलाशने में STF और पंजाब पुलिस नाकाम रही है। सभी स्पेशल यूनिट्स एक महीने बाद भी आरोपी का सुराग नहीं तलाश सकी हैं।
आरोपी राजजीत सिंह को अपराधिक साजिश, रिकॉर्ड में हेराफेरी व जबरन वसूली की धाराओं के तहत नामजद किया गया है। लेकिन पंजाब सीएम भगवंत मान द्वारा उसके काबू में आने से पहले ही उसके खिलाफ कार्रवाई की सूचना को सार्वजनिक किया गया। नतीजतन उसे फरार होने का खुला समय मिल गया। अब एक महीने बाद तक भी आरोपी अंडरग्राउंड है।
ADGP को एक महीने में सौंपनी थी रिपोर्ट
जेल में बंद बर्खास्त इंस्पेक्टर इंद्रजीत और AIG राजजीत सिंह के संबंधों की जांच के लिए ADGP आरके जायसवाल के अध्यक्षता में SIT गठित की गई थी। आरके जायसवाल को एक महीने की समयावधि में जांच पूरी कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं सौंपी गई है। इसके अलावा विजिलेंस द्वारा आरोपी राजजीत और इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह के सर्विस रिकॉर्ड को भी कब्जे में लिया गया है।
लुकआउट सर्कुलर जारी व संपत्ति की जांच जारी
राज्य सरकार द्वारा आरोपी राजजीत सिंह का लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया। साथ ही CM भगवंत मान के निर्देशों पर उसकी संपत्ति का पता लगाने के लिए विजिलेंस जांच की जा रही है। लेकिन आरोपी के फरार होने के चलते जांच टीम भी उसकी संपत्ति का पूरा रिकॉर्ड हासिल नहीं कर सकी है।
यह है मामला
दरअसल, साल 2017 में AIG राजजीत के साथी इंस्पेक्टर इंद्रजीत को हथियार व ड्रग्स तस्करी मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसके घर की तलाशी में AK-47, 4 किलो हेरोइन, 3 किलो स्मैक का नशा और अन्य देसी हथियार बरामद किए गए थे।
इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह को नौकरी से बर्खास्त किया गया। इस मामले में AIG राजजीत सिंह पर बर्खास्त इंस्पेक्टर इंद्रजीत का बचाव करने, गलत रिकॉर्ड पेश करने के आरोप हैं। साथ ही बरामद नशा सामग्री से छेड़छाड़ और इंद्रजीत को प्रमोशन देने के आरोप भी हैं।
राजजीत और इंद्रजीत 2012 से 2017 तक एकसाथ रहे तैनात
आरोपी AIG राजजीत सिंह और इंस्पेक्टर कई जगहों पर एकसाथ तैनात रहे। साल 2012 से 2017 तक जिन जगहों पर राजजीत सिंह की तैनाती हुई, उसने इंद्रजीत सिंह को भी अपने साथ रखा। इसके लिए राजजीत सिंह सिफारिशी लेटर लिख कर इंद्रजीत की ट्रांसफर करवाता रहा है। दोनों गुरदासपुर, तरनतारन, मोगा और जालंधर एकसाथ तैनात रहे हैं।

