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Wednesday, July 9, 2025
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Joshimath Sinking: जोशीमठ को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट, 247 किमी की रोड, हर किमी पर लैंडस्लाइड

Joshimath-Rishikesh Road: जोशीमठ से ऋषिकेश वाली सड़क भूस्खलन से अत्यधिक प्रभावित है. स्टडी के मुताबिक, सड़क निर्माण और चौड़ा करना भी वजह हो सकती है.

joshimath 309 landslide on 247 km road that linked to Rishikesh Joshimath Sinking: जोशीमठ को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट, 247 किमी की रोड, हर किमी पर लैंडस्लाइड

उत्तराखंड में लैंडस्लाइड की बहुत घटनाएं होती हैं. (फोटो- पीटीआई)

Joshimath Rishikesh Road Landslide: जोशीमठ में धंसती जमीन और दरकते मकानों की खबरों के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है. एक अध्ययन में पाया है कि ऋषिकेश से जोशीमठ के बीच 309 जगह पर भूस्खलन हुए हैं. यानी हर एक किलोमीटर पर 1 से ज्यादा लैंडस्लाइड हुआ है. अध्ययन बताता है कि जोशीमठ के आसपास के पहाड़ किस तरह से अस्थिर हैं.

यूरोपीय जियोसाइंस यूनियन में 10 जनवरी को चर्चा के दौरान और भारतीय-विदेशी वैज्ञानिकों की टीम ने स्टडी के बारे में बताते हुए कहा कि इन भूस्खलनों के पीछे बारिश जैसे प्राकृतिक कारणों के अलावा सड़क निर्माण और चौड़ा करना भी वजह हो सकती है. ये अक्सर छोटे होते हैं लेकिन ढांचे और यातायात को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. पिछले साल अक्टूबर में भूस्खलनों को मांपा गया था.

अधिकांश लैंडस्लाइड ताजा
स्टडी में बताया गया है कि यह सड़क भूस्खलन से अत्यधिक प्रभावित है. इसके लिए इलाके की तीखी और कमजोर ढलान, केंद्रित वर्षा और लगातार भूकंपीय झटकों को जिम्मेदार ठहराया गया है. कहा गया है कि अधिकांश भूस्खलन ताजा लग रहे थे.

‘नेचुरल हजार्ड्स एंड अर्थ सिस्टम साइंस’ नामक जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी को जर्गेन मे, रवि कुमार गुंटू, अलेक्जेंडर प्लाकियास, इगो सिल्वा डी अल्मेडा और वुल्फगैंग शॉन्गहॉर्ट ने किया है.

स्टडी में गूगल अर्थ से मिली तस्वीरों के जरिए दिखाया गया कि जिन भूस्खलन से रोड बाधित हुए उनका 21% पहले से मौजूद था. वहीं 17.8% भूस्खलन के बारिश के चलते फिर से सक्रिय होने की आशंका जाहिर की गई, जबकि 60.8 प्रतिशत भूस्खलन के बारे में गूगल अर्थ की तस्वीरों से पता नहीं चल पा रहा था.

स्टडी में यह भी बताया गया है कि हिमालयी क्षेत्र में सड़क निर्माण तेजी से बढ़ा है. पिछले पांच सालों में, हिमालयी राज्यों में 11,000 किमी सड़कों का निर्माण किया गया था. स्टडी के मुताबिक “क्षेत्र की कमजोर जमीन के साथ ही ढलानों को काटने की खराब प्रैक्टिस के चलते इन सड़कों का रखरखाव चुनौतीपूर्ण हो गया है.

अध्ययन में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का भी हवाला दिया गया है. इसके मुताबिक पिछले चार वर्षों में भूस्खलन की घटनाओं में उत्तराखंड में लगभग 160 लोगों की मौत हुई.

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