हिंदी प्रदेश के बड़े राज्यों में जहां बीजेपी ने 2019 के चुनाव में लगभग क्लीन स्वीप किया था वहां अभी क्या समीकरण बन रहे हैं इस पर उन प्रदेशों के पत्रकारों से बात की गई है.
क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में भी चलेगी मोदी लहर (Photo Credit- PTI)
साल 2014 से लेकर 2019 तक ‘मोदी लहर’ पर सवार बीजेपी के लिए क्या हालात बदल गए हैं या फिर केंद्र में उसकी ही सरकार बनने जा रही है, ये सवाल अब लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले चर्चा में हैं. बीते 8-9 सालों में कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव छोड़ दिए जाएं तो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बीजेपी ने दोबारा सरकार बनाने में कामयाबी पाई है. हिंदी बेल्ट के सभी बड़े राज्यों के वरिष्ठ पत्रकारों और चुनावी विश्लेषकों से बातचीत में जो बातें सामने आई हैं वो देश की राजनीति के लिए अहम हैं.
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में न जाकर केसीआर की रैली में जाना ज्यादा ठीक समझा. ये यूपी में कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि केंद्र की सत्ता में बैठने के लिए किसी भी पार्टी के पास यूपी की लोकसभा सीटें बहुत मायने रखती है.
यूपी में जहां ईसीबी आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर बीजेपी के साथ सुर में सुर मिला रहे हैं तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती की भी सक्रियता बढ़ गई है. दोनों ही नेताओं का कोई भी कदम अभी तक बीजेपी के लिए फायदा पहुंचाने के नजरिए से भी देखा जा रहा है. समाजवादी पार्टी भी दलित वोटों में सेंध लगाने के लिए पश्चिमी यूपी में सक्रिय चंद्रशेखर आजाद के साथ संपर्क में है साथ ही जाटों और गुर्जरों का भी समीकरण बनाने के लिए राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी और गुर्जर समुदाय से आने वाने मदन भैया जैसे चेहरों को अपने पाले में कर लिया है.