
आय से अधिक संपत्ति मामले में पंजाब के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से विजिलेंस ने शुक्रवार को करीब 8 घंटे तक पूछताछ की। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान हेल्थ मिनिस्टर रहे सिद्धू के खिलाफ कोरोना काल के दौरान करोड़ों रुपए की हुई खरीद में गड़बड़ी की शिकायतें पहुंचीं थीं।
विजिलेंस को सिद्धू के मोहाली-जीरकपुर, डेराबस्सी व रोपड़ जिलें में माइनिंग की जांच के दौरान भी भारी अनियमितताएं होने के तथ्य मिले हैं जिन्हें लेकर पूछताछ की गई। ब्यूप्रेनॉर्फिन की 5 करोड़ गोलियां कहां गईं तो सिद्धू बोले, जब गोलियों को गायब होने के आरोप लगे थे, तब मैंने स्पष्ट भी किया था। मैं हमेशा नशे के खिलाफ रहा हूं मैंने अपने क्षेत्र में इसके खिलाफ अभियान भी चलाया है।
ये भी पूछे सवाल…
Q. काली सूची की सच्चाई क्या है?
A. रुसन फार्मा को अनुचित लाभ देने समेत काली सूची में कंपनियां डाले जाने को लेकर सिद्धू ने कहा सारा रिकॉर्ड विभाग के पास है। आरोपों में 1 फीसदी भी सच्चाई नही है।
Q. गौ शाला की जमीन को लेकर भाई जीती सिद्धू की क्या भूमिका है?
A. यह समाज सेवा का काम था, जिसमें किसी भी प्रकार से कोई गड़बड़ी नही हुई है।
विजिलेंस ने करोड़ों रुपए की 7.5 एकड़ बेशकीमती जमीन पर जबरन कब्जा। मोहाली के गांव बाड़ी में निजी अस्पताल के निर्माण, उनके व भाई जीती की रोपड़ में अवैध रेत खनन, अवैध शराब बिक्री के संबंध में पूछताछ की गई।
पीपी किट कब खरीदी, नियमों का पालन नहीं हुआ
चाहे मैं हेल्थ मिनिस्टर था, उस समय के मुख्य सचिव के नेतृत्व में गठित परचेज कमेटी ने सारी खरीद की थी। कोरोना काल के दौरान खरीदे गए सामान के साथ कोई संबंध नही है। मैं कोरोना से निपटने के लिए जिला स्तर पर सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में बंदोबस्त को लेकर रिव्यू मीटिंग करता था। उसमें जो डिमांड अफसरों की होती थी, उस डिमांड को परचेज कमेटी को भेज दिया जाता है। लेकिन मेरे खरीद फरोख्त के साथ कोई संबंध नहीं है।

