
पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएटिड कॉलेजों में टीचर्स भर्ती की गाइडलाइंस या टेम्पलेट तय करने से पहले पीयू एक बार फिर पंजाब सरकार से क्लेरिफिकेशन मांगेगा। सरकार ने यूजीसी के नियमों की अनदेखी कर अपने नियम तैयार किए हैं।
टेम्प्लेट के लिए बनाई सीनेट मेंबर्स की कमेटी ने सरकार के नियमों को डिस्कस किया और आखिर में तय किया कि इस बारे में पहले एक बार सरकार से दोबारा क्लेरिफिकेशन ली जाए कि इस अंतर का क्या करना है। साल 2018 वाली यूजीसी की रेगुलेशन के अनुसार टेम्पलेट बनाया जाना चाहिए।
सरकार के बनाए नियमांे के मुताबिक, एप्लीकेंट्स की स्क्रूटनी डीन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल (डीसीडीसी) चेयरमैन के तौर पर करें। पीयू से एफिलिएटिड करीब 191 कॉलेज हैं और हर कॉलेज में हर साल कोई ना कोई पद निकलता है। इस हिसाब से पीयू के कैंपस में हर रोज स्क्रूटनी होगी।
यूजीसी के अनुसार बमुश्किल 180 दिन की वर्किंग होती है। ऐसे में एक कॉलेज के काम को ही पूरे दिन की जरूरत रहेगी। इसकी बजाय यूविर्सिटी के डीसीडीसी का प्रतिनिधि लेकर कॉलेज में ही स्क्रूटनी हो सकती है। नंबर ऑफ कैंडिडेट्स के लिए पंजाब सरकार का नियम है कि कम से कम 8 कैंडिडेट बुलाओ, जबकि यूजीसी रेगुलेशन ये अधिकार कॉलेज को देती है।
यूजीसी के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर की पहले अकेडमिक परफॉर्मेंस इंडैक्स (एपीआई) के आधार पर स्क्रीनिंग करनी होती है और फिर शॉर्टलिस्टेड कैंडिडेट्स का चुनाव इंटरव्यू से होता है। जबकि पंजाब सरकार का कहना है 60 फीसदी वेटेज एपीआई और 40 फीसदी वेटेज इंटरव्यू को दी जाएगी।
मेंबर्स का कहना था कि यूजीसी को पूरी तरह अपनाया जाना चाहिए। ये आदेश वैकल्पिक नहीं है, जबकि जरूरी है। यदि सरकार इसे नहीं मानती तो यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को ग्रांट्स को लेकर दिक्कत आएगी। प्रिं आरएस झांजी, डॉ. जगतार सिंह, डॉ. शमिंदर संधू और डॉ. किरनदीप कौर और प्रो. संजय कौशिक की सिफारिश पर सरकार को लेटर भेजी जाएगी।
हालांकि इस बीच उन्होंने 2018 की गाइडलाइंस के अनुसार कैरियर एडवांस्मेंट स्कीम (कैस) के तहत टेम्पलेट बना दिया है। बता दें पंजाब ने सभी स्टेट यूनिवर्सिटीज को गाइडलाइंस भेजी हैं, जिसके अनुसार उनको अपने एफिलिएटिड कॉलेजों के लिए नियम बनाने हैं जिनके आधार पर भर्ती हो सके।

